प्यारे पथिक

जीवन ने वक्त के साहिल पर कुछ निशान छोडे हैं, यह एक प्रयास हैं उन्हें संजोने का। मुमकिन हैं लम्हे दो लम्हे में सब कुछ धूमिल हो जाए...सागर रुपी काल की लहरे हर हस्ती को मिटा दे। उम्मीद हैं कि तब भी नज़र आयेंगे ये संजोये हुए - जीवन के पदचिन्ह

Tuesday, September 8, 2009

तुझे मुझसे प्यार न करना हैं, तो न कर



तुझे मुझसे प्यार न करना हैं, तो न कर ,
फ़िर नज़रें भी न मिला, यूँ बेकरार भी न कर।


न देख इन मस्त निगाहों से मुझे ,
हिला, रह रह कर गेसुओं की चिलमन।
दिलफेक नहीं पर आशिक मिजाज है दिल ,
रह-रह कर जुल्फ-ऐ-यार से उलझता है मन।


छोड़, ठण्डी ठण्डी आहें छिप-छिपकर,
मुस्कुरा, रह रहकर इन मासूम अदाओं से।
बेपरवाह नहीं, पर कुछ मदहोश है दिल,
रह रहकर बहकता है, हुस्न-ऐ-यार की सदाओं पे।

न दबा, गुल-ऐ-तब्बसुम यूँ हल्के-हल्के
थरथरा, रह रहकर होठों से इन हर्फ़ बेमायनों को।
प्यासा
नहीं पर, कबका मुन्तज़िर है दिल
रह रहकर मचलता है लब-ऐ-यार के पैमानों को।

तुझे मुझसे प्यार न करना हैं, तो न कर ,
फ़िर नज़रें भी न मिला, यूँ बेकरार भी न कर।

12 comments:

  1. तुझे मुझसे प्यार न करना हैं, तो न कर ,
    फ़िर नज़रें भी न मिला, यूँ बेकरार भी न कर।

    -बहुत बढ़िया.

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  2. वाह
    वाह
    बहुत ख़ूब...........प्यारी अभिव्यक्ति
    बधाई !

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  3. प्यार का ये तरीका पहली बार सामने आया है।बहुत बढिया लिखा आपने।

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  4. शायद इसे ही कहते हैं प्रेम की पराकाष्ठा।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  5. "न देख इन मस्त निगाहों से मुझे ,
    न हिला, रह रह कर गेसुओं की चिलमन।
    दिलफेक नहीं पर आशिक मिजाज है दिल ,
    रह-रह कर जुल्फ-ऐ-यार से उलझता है मन।"

    वाह...वाह...!
    बहुत खूब अच्छी शिकायत है।

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  6. बहुत पसंद आयी

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  7. wow kya baat hai .... ye andaze bayan uff
    "न देख इन मस्त निगाहों से मुझे ,
    न हिला, रह रह कर गेसुओं की चिलमन।
    दिलफेक नहीं पर आशिक मिजाज है दिल ,
    रह-रह कर जुल्फ-ऐ-यार से उलझता है मन।

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  8. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है शुभकामनायें

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  9. bhut sundar ulahna hai .
    achhi rachna .
    shubhkamnaye

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