मैंने तो सुना था कि दर्द है बड़ा खुदगर्ज होता,
हर कोई सिर्फ़ अपनी ही किसी बात पर है रोता।
तुझसे मिलकर जाना, दर्द का रिश्ता है साँझा होता,
वरना मेरे हालत पर, ऐ दोस्त! तेरा चेहरा न भीगा होता ।
तेरी झील सी गहरी आँखों में बसा समुंदर न होता,
यूँ बिना किसी आवाज़, बेबात यह निर्झर न बहता,
तुझसे मिलकर जाना, दर्द का रिश्ता है साँझा होता,
वरना मेरे जज्बातों पर, ऐ दोस्त! तेरा दिल न पशेमाँ होता ।
पहचाने चेहरों की भीड़ में कोई अपना पाने का सलीका होता,
तुझसे मिलकर जाना, दर्द का रिश्ता है साँझा होता,
वरना मेरे गम पर, ऐ दोस्त! तेरा न सिसकना होता।
हर किसी की कहनेवाले को न है कोई सुननेवाला होता,
हंसकर मिलनेवालों का है अक्सर भीगा तकिया होता,
तुझसे मिलकर जाना, दर्द का रिश्ता है साँझा होता,
वरना सबके के लिए मरने वाला, ऐ दोस्त! न तेरा मेरा मसीहा होता।