यह मेरे दर्द का फ़साना, कुछ झूठा कुछ सच्चा है
शब-ए-हिज्र की हैं बातें, तुम ही सुनते तो अच्छा है
कहकर तो देखो कभी, परियों की बातें उनसे
हर संजीदा दिल में, सहमता हुआ एक बच्चा है
इसी बहाने पहचान हो गई दोस्त दुश्मनों की,
भरी रईसी से, मेरा मुफलिसी हाल अच्छा है
गोया दिल लगाने का, उनको है तजुर्बा इतना,
पहली नज़र में दिल लेकर, कहते हैं कि अच्छा है
क्या बताते हम नाम सबको, अपने हसीं कातिल का
सुना है कि इस शहर में, हर शख्स कानो का कच्चा है
कुछ आरजू हमको भी थी, इस दिल को मिटाने की
वरना तेरी महफ़िल से तो, अपना मयकदा अच्छा है
किससे कहता दास्ताँ, सबब तेरी बेपरवाह मुहब्बत का
तेरी रुसवाई से, मेरी बेवफाई का इल्जाम अच्छा है