तुझे मुझसे प्यार न करना हैं, तो न कर ,
फ़िर नज़रें भी न मिला, यूँ बेकरार भी न कर।
फ़िर नज़रें भी न मिला, यूँ बेकरार भी न कर।
न देख इन मस्त निगाहों से मुझे ,
न हिला, रह रह कर गेसुओं की चिलमन।
दिलफेक नहीं पर आशिक मिजाज है दिल ,
रह-रह कर जुल्फ-ऐ-यार से उलझता है मन।
न छोड़, ठण्डी ठण्डी आहें छिप-छिपकर,
न मुस्कुरा, रह रहकर इन मासूम अदाओं से।
बेपरवाह नहीं, पर कुछ मदहोश है दिल,
रह रहकर बहकता है, हुस्न-ऐ-यार की सदाओं पे।
न दबा, गुल-ऐ-तब्बसुम यूँ हल्के-हल्के
न थरथरा, रह रहकर होठों से इन हर्फ़ बेमायनों को।
प्यासा नहीं पर, कबका मुन्तज़िर है दिल
रह रहकर मचलता है लब-ऐ-यार के पैमानों को।
न थरथरा, रह रहकर होठों से इन हर्फ़ बेमायनों को।
प्यासा नहीं पर, कबका मुन्तज़िर है दिल
रह रहकर मचलता है लब-ऐ-यार के पैमानों को।
तुझे मुझसे प्यार न करना हैं, तो न कर ,
फ़िर नज़रें भी न मिला, यूँ बेकरार भी न कर।
फ़िर नज़रें भी न मिला, यूँ बेकरार भी न कर।
तुझे मुझसे प्यार न करना हैं, तो न कर ,
ReplyDeleteफ़िर नज़रें भी न मिला, यूँ बेकरार भी न कर।
-बहुत बढ़िया.
बहुत सुंदर !!
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteवाह
बहुत ख़ूब...........प्यारी अभिव्यक्ति
बधाई !
वाह !
ReplyDeleteप्यार का ये तरीका पहली बार सामने आया है।बहुत बढिया लिखा आपने।
ReplyDeleteशायद इसे ही कहते हैं प्रेम की पराकाष्ठा।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
"न देख इन मस्त निगाहों से मुझे ,
ReplyDeleteन हिला, रह रह कर गेसुओं की चिलमन।
दिलफेक नहीं पर आशिक मिजाज है दिल ,
रह-रह कर जुल्फ-ऐ-यार से उलझता है मन।"
वाह...वाह...!
बहुत खूब अच्छी शिकायत है।
बहुत पसंद आयी
ReplyDeletewow kya baat hai .... ye andaze bayan uff
ReplyDelete"न देख इन मस्त निगाहों से मुझे ,
न हिला, रह रह कर गेसुओं की चिलमन।
दिलफेक नहीं पर आशिक मिजाज है दिल ,
रह-रह कर जुल्फ-ऐ-यार से उलझता है मन।
nice.
ReplyDeleteloksangharsha.blogspot.com
barabanki
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है शुभकामनायें
ReplyDeletebhut sundar ulahna hai .
ReplyDeleteachhi rachna .
shubhkamnaye