प्यारे पथिक

जीवन ने वक्त के साहिल पर कुछ निशान छोडे हैं, यह एक प्रयास हैं उन्हें संजोने का। मुमकिन हैं लम्हे दो लम्हे में सब कुछ धूमिल हो जाए...सागर रुपी काल की लहरे हर हस्ती को मिटा दे। उम्मीद हैं कि तब भी नज़र आयेंगे ये संजोये हुए - जीवन के पदचिन्ह

Tuesday, December 29, 2009

'एक्सक्लूसिव' खबर





कल भूख से मर गए कुछ गरीब बच्चे मेरे शहर में
यह हृदय-विदारक खबर जब किसी चैनल पर न आई
इक नए युवा पत्रकार के दिल की धड़कन घबराई
होकर परेशान उसने यह बात अपने संपादक से उठाई

संपादक ने कहा - बड़े नौसिखिया हो यार !
किसने बना दिया हैं तुमको आज का पत्रकार?
जो मरे वो तो बच्चे थे, बस  भूखे  लाचार
इसमें इन्वोल्व  न कोई नेता, भाई या तडीपार

खबर मैं  छाप दूं अभी पर इससे चैनल क्या पायेगा
यह मुद्दा मुश्किल  से दस सेकंड भी न चल पायेगा
कुछ दिन पड़े रहने दो लाशें, मुनिसिपल इश्यु हो जायेगा
तब यही खबर अपना चैनल एक्सक्लूसिव ले आएगा

चिंता न करो, तुम्हारा रिसर्च बेकार नहीं जायेगा
जब खबर लायेंगे तो ये ग्राउंडवर्क  काम आयेगा
भूलना मत, दो चार फोटो आज की भी  लेते आना
 मुश्किल होता हैं वरना एक्सक्लूसिव खबर का बैकग्राउंड बनाना

पहले बेचारा पत्रकार चकराया
और फिर  अपनी चिंता जतायी,
मान्यवर अगर नगरपालिका वालों ने
उन बच्चों की  लाशें आज ही हटाई

संपादक खिलखिलाया और फिर हल्के से फुसफुसाया
नौसिखिये हो इसलिए तुमने यह मुद्दा उठाया
चुपचाप गायब होती लाशों का मसला और बिक जायेगा
साजिश का एंगल  तो चैनल की टीआरपी बढाएगा

Tuesday, December 22, 2009

रात भर....



जागा रात भर, सोया  न बिस्तर बेगाना मेरा,
हर करवट सदाएँ देता था सपना पुराना  तेरा.

सोचा रात भर, वजहें तेरी बज़्म में आने की,
काश मुझको मालूम न होता ठिकाना  तेरा

चर्चा रात भर, चलता रहा महफ़िल में मेरा,
जब बात ही बात में निकला फ़साना तेरा

रोया रात भर, आमावस को चकोर कोई,
दूर से देखा होगा उसने चेहरा सुहाना तेरा

घूमा रात भर, गली-कुंचा बदहवाश बेचारा
पागल सा दिखता था, होगा दीवाना तेरा

भीगा रात भर, अपने खूँ के दरिया में दास्ताँ
रंजिशे थी शहर की हमसे औ' बहाना तेरा

Tuesday, December 15, 2009

माँगा खुदा से अब न हो रहबर ज़माना मेरा




माँगा खुदा से अब  न हो रहबर ज़माना मेरा |
बस हुआ संगदिल रहनुमाओं से दिल आजमाना मेरा ||

अपनी अपनी दूकान पर यहाँ सबके अपने रसूल,
बिकते मजहब,  बिकती मुहब्बत और बिकते उसूल
अश्कों को कीमत, हर अहसास को तिजारत कबूल
यूँ ही अपने वजूद के तोल-मोल  भाव तलाशना  मेरा

बस हुआ ठगते  रहनुमाओं का दाम लगाना मेरा
माँगा खुदा से अब न हो रहबर ज़माना मेरा



झूठ की सियासत में, हमेशा सच बदलते लोग
झूठे वादे, झूठी कसमे, झूठी रस्मे निभाते लोग,
झूठे फलक के नीचे ऐतबार के कच्चे-घर बनाते लोग
ऐसी ख्याली दुनिया में इक सब्जबाग तलाशना  मेरा

बस हुआ झूठे  रहनुमाओं का दिल बहलाना मेरा
माँगा खुदा से अब न हो रहबर ज़माना मेरा



फरेब से बचने को फरेब के जाल बिछाती दुनिया
कुछ ऊँचा उठने को सबके सर चढ़ जाती दुनिया
मतलब से नए खुदाओं के सजदे में सर झुकाती दुनिया
ऐसे में अपनी खुदगर्ज अजानों के नए  मायने तलाशना मेरा

बस हुआ फरेबी रहनुमाओं पे भरोसा जाताना मेरा
माँगा खुदा से अब न हो रहबर ज़माना मेरा



मंजिले खोकर भूले रास्ते को घर बनाते बन्दे
हक-ए-आरजू में फर्ज पर मिट्टी गिराते बन्दे
भुलाके दीन-ओ-ईमान, रहमत के कसीदे रटाते बन्दे
ऐसे भूले-बिसरे अरमानों में गुमशुदा ज़मीर तलाशना मेरा

बस हुआ  भटके रहनुमाओं को सरपरस्त बनाना मेरा
माँगा खुदा से अब न हो रहबर ज़माना मेरा


माँगा खुदा से अब न हो रहबर ज़माना मेरा
बस हुआ संगदिल रहनुमाओं से दिल आजमाना मेरा

Tuesday, December 8, 2009

हुआ इश्क में रुस्वां, इक नई पहचान ढूंढता हूँ



मुसाफिर हूँ यारों, इक शहर अनजान ढूंढता हूँ
हुआ इश्क में रुस्वां,  इक नई पहचान ढूंढता हूँ

मजहब के वादों पर मरते  रोज़ इंसान देखता  हूँ
बता दे जो खुदा को मेरा दर्द,  वो अजान ढूंढता हूँ

दहशत में जीता है, बनकर तमाशाई मेरा  शहर
फूँक दे जो मुर्दा दिलों में जान, वो इंसान ढूंढता हूँ

सरहदों के नाम पर, बाँट ली है यह ज़मी सबने,
पनाह दे जो हर किसी को, वो आसमान ढूंढता हूँ

तंग-हाल जीकर भी, क्या पाया  है सुकून किसी ने
बेच के उसूल, इस दौर में रास्ता आसान  ढूंढता हूँ

दुश्वार है बेखौफ, कुछ सुनना-सुनाना इस जहाँ में
जहाँ हो गुफ्तुगू खुद से, वो इलाका वीरान ढूंढता हूँ

असर कुछ तो हैं उसकी जफा का  'दास्ताँ' तुझपर,
देख के वो नज़रें फिराता है औ' मैं अहसान  ढूंढता हूँ

Tuesday, December 1, 2009

मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!





बड़ी मुद्दत के बाद आज तन्हा हूँ,
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!
आंसू न पोछो, मुझे धीर न दो
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

अपनों  को परखने की,
मुझको न थी आदत ही कभी,
वो छलतें है मुझको, तो छल  लेने दो.
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

माँगा ही किया है दुनिया ने हरदम,
मुझसे कीमत हर रिश्ते नातों की
आज देती हैं वो धोखा तो दे लेने दो.
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

जिन्दा रहने की है शर्त अगर,
ताउम्र सांसों की सलीब उठाना,
तो पल-पल मर के भी जी लेने दो.
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

सजदे में ही रहा जीता मैं,
बचता बगावत के इल्जामों से,
अब कटता सर मेरा, तो कट लेने दो.
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

गैर-ज़रूरी  है अब दुनियादारी में
इन बेमतलब उसूलों का सबब.
कुछ बेचता हूँ मैं, तो बिक लेने दो
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

औरों  के बनाये  निज़ामों  पर,
जीना ही तो रही किस्मत मेरी,
(अपनी इक) ख्वाहिश पर मरता हूँ, तो मर लेने दो
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

बड़ी मुद्दत के बाद आज तन्हा हूँ,
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!
आंसू न पोछो, मुझे धीर न दो
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!
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