शरणाकांक्षी अंतर्मन
आहात देह
खंडित दीप
च्युत नेह
रह रहकर
गिरता मन
ज्योति दण्डित
तम सघन
नयन स्थिल
मेधा विकल
प्रतीक्षारत विभा
रवि विह्वल
आलंबनाकांक्षा
अलिंगनानुरोध
श्वांस समर्पण
जीवन प्रतिरोध
पाप-पुण्य से दूर
स्वर्ग-नर्क से इतर
हो साथ तेरा
वही मार्ग प्रखर
हो स्पर्श तेरा
पावन-पुनीत
भाव पराजय का
हो शुन्य प्रतीत
तुम जयी बन
ले जाओ मुझसे
मेरे झूठे अहम्
जो निर्वासित जग से