कल भूख से मर गए कुछ गरीब बच्चे मेरे शहर में
यह हृदय-विदारक खबर जब किसी चैनल पर न आई
इक नए युवा पत्रकार के दिल की धड़कन घबराई
होकर परेशान उसने यह बात अपने संपादक से उठाई
संपादक ने कहा - बड़े नौसिखिया हो यार !
किसने बना दिया हैं तुमको आज का पत्रकार?
जो मरे वो तो बच्चे थे, बस भूखे लाचार
इसमें इन्वोल्व न कोई नेता, भाई या तडीपार
खबर मैं छाप दूं अभी पर इससे चैनल क्या पायेगा
यह मुद्दा मुश्किल से दस सेकंड भी न चल पायेगा
कुछ दिन पड़े रहने दो लाशें, मुनिसिपल इश्यु हो जायेगा
तब यही खबर अपना चैनल एक्सक्लूसिव ले आएगा
चिंता न करो, तुम्हारा रिसर्च बेकार नहीं जायेगा
जब खबर लायेंगे तो ये ग्राउंडवर्क काम आयेगा
भूलना मत, दो चार फोटो आज की भी लेते आना
मुश्किल होता हैं वरना एक्सक्लूसिव खबर का बैकग्राउंड बनाना
पहले बेचारा पत्रकार चकराया
और फिर अपनी चिंता जतायी,
मान्यवर अगर नगरपालिका वालों ने
उन बच्चों की लाशें आज ही हटाई
संपादक खिलखिलाया और फिर हल्के से फुसफुसाया
नौसिखिये हो इसलिए तुमने यह मुद्दा उठाया
चुपचाप गायब होती लाशों का मसला और बिक जायेगा
साजिश का एंगल तो चैनल की टीआरपी बढाएगा
बहुत मार्मिक रचना...
ReplyDeleteजबरदस्त कटाक्ष आज की पत्रकारिता पर.
ReplyDeleteयह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
सही बात है, भूख कोई ख़बर नहीं है अब.
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना। बहुत-बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteआपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
सुन्दर.
ReplyDeleteधन्धा करते करते कब धन्धेबाजी शुरू हुई, पता ही नहीं चला। जब चला तो देर हो गई थी.
~पत्रकार का दिल की धड़कन~ की जगह ~पत्रकार की दिल की धड़कन~ कर लो.
अच्छे रचते हो।
अच्छी
ReplyDeleteइस रचना के माध्यम से इतनी गहरी बात कह दी आपने......बहुत बहुत धन्यवाद आपका
ReplyDeleteओह! गहरा कटाक्ष
ReplyDeleteबी एस पाबला
गिद्ध खत्म होते जा रहे हैं और सारी दुनियां गिद्धत्व से सराबोर हो रही है!
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