बचना वो हँसकर मिलता है दोनों बाहें फैलाएं
मुश्किल में होगा न जाने कौन सा काम बताए
चुनावी मौसम था, वादों की बयार में गुजर गया
आओ अब खुद सुलझाएं अपनी अपनी समस्याएँ
रही बाट जोहती शिक्षक की किनती सारी कक्षाएँ
ट्युशन से पार लगेंगी इस साल की भी परीक्षाएं
सच ही होगी खबर दंगों की आज के अखबार में
सरकार ने कहा सब विपक्ष ने हैं फैलाई अफवाहें
दाल-रोटी महंगी हुई पर जीने की और विवशताएँ
घी-लकड़ी के दाम हैं दुने बड़ी महंगी पड़ेगी चिताएँ
न कर उम्मीद दास्ताँ किसी भी पीर औ' मुर्शिद की
बदलनी किस्मत हैं तुझको तो खुद गढ़ अपनी राहें
बेहतरीन, सटीक रचना!!
ReplyDeleteफेसबुक से मित्र अभिजीत की टिप्पणी:
ReplyDeleteAbhijit Bhadra commented on your note "बचना वो हँसकर मिलता ह&#...":
"रही बाट जोहती शिक्षक की किनती सारी कक्षाएँ
ट्युशन से पार लगेंगी इस साल की भी परीक्षाएं
reminds me of SD Singh in 11th grade..."
दाल-रोटी महंगी हुई पर जीने की और विवशताएँ
ReplyDeleteघी-लकड़ी के दाम हैं दुने बड़ी महंगी पड़ेगी चिताएँ
सही सच बात लिखी है आपने इन पंक्तियों में .अच्छी लगी यह पंक्तियाँ शुक्रिया
न कर उम्मीद दास्ताँ किसी भी पीर औ' मुर्शिद की
ReplyDeleteबदलनी किस्मत हैं तुझको तो खुद गढ़ अपनी राहें
बहुत सही बातें कही हैं लाजवाब गज़ल दूसरा शेर भी बहुत अच्छा लगा। इस सुन्दर गज़ल के लिये बधाई और आशीर्वाद
हाँ एक खुशखबरी दूँ अप्रल के पहले हफ्ते मे मैं य़ू एस ए आ रही हूँ मगर शायद तुम से बहुत दूर होऊँगी कैलिफोर्निया मे।
चुनावी मौसम था, वादों की बयार में गुजर गया
ReplyDeleteआओ अब खुद सुलझाएं अपनी अपनी समस्याएँ
यथार्थपरक रचना, आज की सच्चाई बयान करती
बहुत सुन्दर
बेहतरीन यथार्थ! सूक्ष्म अवलोकन!
ReplyDeleteवाह..!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
लोहिड़ी पर्व और मकर संक्रांति की
हार्दिक शुभकामनाएँ!
itni acchi srahna ke liye shukriya!
ReplyDeleteचुनावी मौसम था, वादों की बयार में गुजर गया
आओ अब खुद सुलझाएं अपनी अपनी समस्याएँ
दाल-रोटी महंगी हुई पर जीने की और विवशताएँ
घी-लकड़ी के दाम हैं दुने बड़ी महंगी पड़ेगी चिताएँ
bahut khoob ! mahgaai to zor par hai
सच ही होगी खबर दंगों की आज के अखबार में
ReplyDeleteसरकार ने कहा सब विपक्ष ने हैं फैलाई अफवाहें ...
KHOOBSOORAT SHER HAIN SAB KE SAB .......
रही बाट जोहती शिक्षक की किनती सारी कक्षाएँ
ReplyDeleteट्युशन से पार लगेंगी इस साल की भी परीक्षाएं
वाह बहुत सटीक व्यंग है...अच्छी रचना है आपकी...लिखते रहें.
नीरज
जिंदगी को बेहद करीब से देखा है आपने, अच्छा लगा आपका ये जीवन भरा चित्र।
ReplyDelete--------
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भारतीय सेना में भी है दम, देखिए कितना सही कहते हैं हम।