प्यारे पथिक

जीवन ने वक्त के साहिल पर कुछ निशान छोडे हैं, यह एक प्रयास हैं उन्हें संजोने का। मुमकिन हैं लम्हे दो लम्हे में सब कुछ धूमिल हो जाए...सागर रुपी काल की लहरे हर हस्ती को मिटा दे। उम्मीद हैं कि तब भी नज़र आयेंगे ये संजोये हुए - जीवन के पदचिन्ह

Tuesday, July 28, 2009

तुझसे मिलकर जाना, दर्द का रिश्ता है साँझा होता


मैंने तो सुना था कि दर्द है बड़ा खुदगर्ज होता,
हर कोई सिर्फ़ अपनी ही किसी बात पर है रोता।
तुझसे मिलकर जाना, दर्द का रिश्ता है साँझा होता,
वरना मेरे हालत पर, ऐ दोस्त! तेरा चेहरा न भीगा होता ।

तेरी झील सी गहरी आँखों में बसा समुंदर न होता,
यूँ बिना किसी आवाज़, बेबात यह निर्झर न बहता,
तुझसे मिलकर जाना, दर्द का रिश्ता है साँझा होता,
वरना मेरे जज्बातों पर, ऐ दोस्त! तेरा दिल न पशेमाँ होता ।

दिले-ऐ-कतरनों के सिलने का काश कोई तरीका होता,
पहचाने चेहरों की भीड़ में कोई अपना पाने का सलीका होता,
तुझसे मिलकर जाना, दर्द का रिश्ता है साँझा होता,
वरना मेरे गम पर, ऐ दोस्त! तेरा न सिसकना होता।

(और अंत में, थोड़ा अलग सा ...)
हर किसी की कहनेवाले को न है कोई सुननेवाला होता,
हंसकर मिलनेवालों का है अक्सर भीगा तकिया होता,
तुझसे मिलकर जाना, दर्द का रिश्ता है साँझा होता,
वरना सबके के लिए मरने वाला, ऐ दोस्त! न तेरा मेरा मसीहा होता।

4 comments:

  1. तुझसे मिलकर जाना, दर्द का रिश्ता है साँझा होता,
    वरना मेरे हालत पर, ऐ दोस्त! तेरा चेहरा न भीगा होता ।

    -अच्छा है.

    ReplyDelete
  2. kamaal ki pakad hai aapke paas
    ye urjaa bani rahe.........
    umdaa kavita k liye badhaai !

    ReplyDelete
  3. wow...wonderful...that person belongs to beautiful heart...who crys when u cry...

    ReplyDelete
  4. han! dard ka rishta sajha hota hai,
    kahte hai baatne se dard aadha hota hai,
    Jab dil se dil ko raah hoti hai
    tab zuba khamosh hoti hai aur telepathy kaam aati hai :-)

    Anywasy.....bejod peshkash ......likhte rahiye

    ReplyDelete

Blog Widget by LinkWithin