प्यारे पथिक

जीवन ने वक्त के साहिल पर कुछ निशान छोडे हैं, यह एक प्रयास हैं उन्हें संजोने का। मुमकिन हैं लम्हे दो लम्हे में सब कुछ धूमिल हो जाए...सागर रुपी काल की लहरे हर हस्ती को मिटा दे। उम्मीद हैं कि तब भी नज़र आयेंगे ये संजोये हुए - जीवन के पदचिन्ह

Sunday, February 15, 2009

तेरे बहाने

जीवन का हलाहल,
सांसो से गुजरता हैं
जब दिन ढल जाता हैं,
आंखों में समंदर सा उतरता हैं।

दो घाव लगे दिल पर,
कुछ शेरों से छिपाया हैं.
ये हाल हैं मेरे दिल का अब,
मुझे मेरे गीतों ने रुलाया हैं।

कोई शिकवा या शिकायत नहीं,
तुझसे, न इस ज़माने से ।
रहे और भी दर्द इस दिल में,
जो निकले तेरे बहाने से।

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