नयनो से बड़ा होता कोई शिल्पकार नहीं
गढ़ लेते हैं स्वप्न जिनका कोई आधार नहीं
एक ख्याल की बंदिश पर कई राग सजाते है,
यूँ ही बैठे बैठे, न जाने किंतने आलाप लगाते हैं
वो सरगम गाते हैं जिसका कोई रचनाकार नहीं
नयनो से बड़ा होता कोई शिल्पकार नहीं...
कैसा भी हो काव्य-भाव बस अनुराग सुझाता है
टूटे-फूटे छंदों पर भी, मन अलंकार सजाता है
वो गीत सुनाते है जिसका कोई गीतकार नहीं
नयनो से बड़ा होता कोई शिल्पकार नहीं...
सुख-दुःख के पखवाड़े पर, आशा-दीप जलाते है
बैरी ह्रदय पुष्प पर भी बन प्रीत-भ्रमर मडराते है
सब अपने से लगते हैं, पराया यह संसार नहीं
सब अपने से लगते हैं, पराया यह संसार नहीं
नयनो से बड़ा होता कोई शिल्पकार नहीं...
बहकी बहकी बातों से मन को बहलातें हैं
बहकी बहकी बातों से मन को बहलातें हैं
घंटों बस मौन से न जाने क्या बतियाते हैं
उन प्रश्नों पर ठहरे जिनको उत्तर दरकार नहीं
नयनो से बड़ा होता कोई शिल्पकार नहीं...
एक ख्याल की बंदिश पर कई राग सजाते है,
ReplyDeleteयूँ ही बैठे बैठे, न जाने किंतने आलाप लगाते हैं
वो सरगम गाते हैं जिसका कोई रचनाकार नहीं
नयनो से बड़ा होता कोई शिल्पकार नहीं...
kya baat kahi hai! Wah!
नयनो से बड़ा होता कोई शिल्पकार नहीं
ReplyDeleteबिल्कुल सही..उम्दा रचना!
टूटे-फूटे छंदों पर भी, मन अलंकार सजाता है
ReplyDeleteवो गीत सुनाते है जिसका कोई गीतकार नहीं...
सच ही नैनों से बड़ा कोई शिल्पकार नहीं ...
बहुत सुन्दर कविता ...!!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.....आनंद आया यह गीत पढ़ कर .
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteनयनो से बड़ा होता कोई शिल्पकार नहीं
ReplyDeleteगढ़ लेते हैं स्वप्न जिनका कोई आधार नहीं
कल्पना की पूऱी प्रक्रिया को एक छन्द में निचोड़ कर रख दिया है ।
नया ब्लॉग प्रारम्भ किया है, आप भी आयें । http://praveenpandeypp.blogspot.com/2010/06/blog-post_23.html
umda rachna,,,,,
ReplyDeleteबहुत खूब, नयनों से बडा शिल्पकार सचमुच नहीं होता।
ReplyDelete--------
आखिर क्यूँ हैं डा0 मिश्र मेरे ब्लॉग गुरू?
बड़े-बड़े टापते रहे, नन्ही लेखिका ने बाजी मारी।
नयनो से बड़ा होता कोई शिल्पकार नहीं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
फेसबुक से मित्र मंजीत की टिप्पणी...
ReplyDeleteManjit Rochlani commented on your note "नयनो से बड़ा होता कोई &...":
"Nice. Jeevan se bhari teri aakhe..."
फेसबुक से मित्र वागीश की टिप्पणी...
ReplyDeleteVagish Gupta commented on your note "नयनो से बड़ा होता कोई &...":
"Hi Sudhir, Good poetry , except last line which seems out of rhythm. Is it yours? I means the whole poem and not just last line :-)"
फेसबुक से मित्र वागीश की दूसरी टिप्पणी
ReplyDeleteVagish Gupta commented on your note "नयनो से बड़ा होता कोई &...":
"Dear Sudhir, After reading again, I find Whole poem is good. I I liked even the use of word (darkar)...these kind of words(khayal, bandish, darkar) generally seen in Gulzaar's poetry :-)...so its like mix of Agyeya and Gulzar. Keep it up.
Will read others when have time."
ठीक कहा .....नयनो से बड़ा होता कोई शिल्पकार नहीं
ReplyDeleteक्या बात कही है आपने अपनी कविता मे, वाकई नयनों से बड़ा कोई शिल्पकार नही होता। मनभावन और सुहावन कविता।
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