क्या कहता वो, बस रो पड़ा मेरा नाम लेकर
गम-ए-हिजरा में होती हैं ऐसी भी हैं अदाएं,
बतियाते हैं वो, आईने से मेरा नाम लेकर
हालात का मारा है शायद, होगा खौफज़दा भी,
सुनाता है वो, फ़साना अपना मेरा नाम लेकर
गर्दिश में बदलती हैं, तहजीबो-अदब की निगाहे,
बुलाते हैं वो, न अब मुझको मेरा नाम लेकर
हमशक्ल न सही, हममिजाज़ तो होगा वो शख्स
भुलाते हैं वो, जिसे दास्ताँ मेरा नाम लेकर
गम-ए-हिजरा में होती हैं ऐसी भी हैं अदाएं,
ReplyDeleteबतियाते हैं वो, आईने से मेरा नाम लेकर
बहुत खूब सुन्दर भाव
पूछा जो हाल-ए-दिल, साकी ने दो जाम देकर
ReplyDeleteक्या कहता वो, बस रो पड़ा मेरा नाम लेकर
ग़ज़ल क़ाबिले-तारीफ़ है।
सुन्दर रचना!
ReplyDeleteबहुत बढिया रचना !!
ReplyDeleteपूछा जो हाल-ए-दिल, साकी ने दो जाम देकर
ReplyDeleteक्या कहता वो, बस रो पड़ा मेरा नाम लेकर
बहुत सुन्दर रचना
सुधीर पहले तो क्षमा चाहती हूँ कि मैं देर से आयी । तुम्हें पता है कि तुम्हारी दी अब सठिया गयी है कुछ याद ही नही रहता।। दूसरी बात कि तुम लिखते इतना अच्छा हो कि मुझे तारीफ के लिये शब्द ही नही सूझते। और ये गज़ल तो दिल को छू गयी
ReplyDeleteपूछा जो हाल-ए-दिल, साकी ने दो जाम देकर
क्या कहता वो, बस रो पड़ा मेरा नाम लेकर
बस इसी शेर से आगे जाने का मन नही हो रहा कई बार पडः गयी हूँ इस गज़ल को बहुत बहुत आशीर्वाद ।
Hindi bhasha mein aapki pakad achchi hai...urdu ki taraf jata ravaiya bhi achcha laga...
ReplyDelete"गर्दिश में बदलती हैं, तहजीबो-अदब की निगाहे,
बुलाते हैं वो, न अब मुझको मेरा नाम लेकर" Badiya
वाह जी, क्या शब्द हैं !!
ReplyDeleteफेसबुक से मेरे दोस्त मंजीत का प्रोत्साहन....
ReplyDeleteManjit Rochlani commented on your note "क्या कहता वो, बस रो पड़...":
"Kya puchhate ho hal meera, Aiyene bech ta hoo mai aandho ke shaher mai ! But there is silver lining ( roshani) now.
Sudhir aapka kya kahna!! Maha PHD:)"