यह मेरे दर्द का फ़साना, कुछ झूठा कुछ सच्चा है
शब-ए-हिज्र की हैं बातें, तुम ही सुनते तो अच्छा है
कहकर तो देखो कभी, परियों की बातें उनसे
हर संजीदा दिल में, सहमता हुआ एक बच्चा है
इसी बहाने पहचान हो गई दोस्त दुश्मनों की,
भरी रईसी से, मेरा मुफलिसी हाल अच्छा है
गोया दिल लगाने का, उनको है तजुर्बा इतना,
पहली नज़र में दिल लेकर, कहते हैं कि अच्छा है
क्या बताते हम नाम सबको, अपने हसीं कातिल का
सुना है कि इस शहर में, हर शख्स कानो का कच्चा है
कुछ आरजू हमको भी थी, इस दिल को मिटाने की
वरना तेरी महफ़िल से तो, अपना मयकदा अच्छा है
किससे कहता दास्ताँ, सबब तेरी बेपरवाह मुहब्बत का
तेरी रुसवाई से, मेरी बेवफाई का इल्जाम अच्छा है
गोया दिल लगाने का, उनको है तजुर्बा इतना,
ReplyDeleteपहली नज़र में दिल लेकर, कहते हैं कि अच्छा है
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दिल तो ऐसे ही ली और दी जाती है
बहुत अच्छी रचना
कहकर तो देखो कभी, परियों की बातें उनसे
ReplyDeleteहर संजीदा दिल में, सहमता हुआ एक बच्चा है
किससे कहता दास्ताँ, सबब तेरी बेपरवाह मुहब्बत का
तेरी रुसवाई से, मेरी बेवफाई का इल्जाम अच्छा है
बहुत बढ़िया ..!!
कुछ आरजू हमको भी थी, इस दिल को मिटाने की
ReplyDeleteवरना तेरी महफ़िल से तो, अपना मयकदा अच्छा है
किससे कहता दास्ताँ, सबब तेरी बेपरवाह मुहब्बत का
तेरी रुसवाई से, मेरी बेवफाई का इल्जाम अच्छा है
लाजवाब सुधीर जी आपकी कलम मे जादू है और मां शारदे का आशीर्वाद भी। बहुत खूब मेरा भी अपने छोते भाई को बहुत बहुत आशीर्वाद्
कहकर तो देखो कभी, परियों की बातें उनसे
ReplyDeleteहर संजीदा दिल में, सहमता हुआ एक बच्चा है
सच कहा दरअसल हर दिल में कहीं न कहीं एक बच्चा रहता है ..... बस टटोलने की जरूरत होती है .......
कुछ आरजू हमको भी थी, इस दिल को मिटाने की
वरना तेरी महफ़िल से तो, अपना मयकदा अच्छा है
बहुत खूब ........ लुटने के लिए तेरी महफ़िल में आये हैं ......... अब जान ले या छोड़ दे ........
बहुत ही पकी हुयी ग़ज़ल है ... उम्दा ..........
इसी बहाने पहचान हो गई दोस्त दुश्मनों की,
ReplyDeleteभरी रईसी से, मेरा मुफलिसी हाल अच्छा है
अच्छी ग़ज़ल है...बहुत ही अर्थपूर्ण
क्या बताते हम नाम सबको, अपने हसीं कातिल का
ReplyDeleteसुना है कि इस शहर में, हर शख्स कानो का कच्चा है
bahut khub ..sundar gajal
कहकर तो देखो कभी, परियों की बातें उनसे
ReplyDeleteहर संजीदा दिल में, सहमता हुआ एक बच्चा है !!!
WAAH ! WAAH ! WAAH ! BEHTAREEN ! BAHUT HI SUNDAR !
HAR SHER KABILE DAAD...WAAH !!
इसी बहाने पहचान हो गई दोस्त दुश्मनों की,
ReplyDeleteभरी रईसी से, मेरा मुफलिसी हाल अच्छा है
यह मेरे दर्द का फ़साना, कुछ झूठा कुछ सच्चा है
शब-ए-हिज्र की हैं बातें, तुम ही सुनते तो अच्छा है
ye lines bahut pasand aayi
अरे वाह, क्या कहा है आपने। यदि इसे अतिश्योक्ति न मानें, तो जान लें कि आपने कमाल कर दिया है इस गजल में।
ReplyDeleteबहुत बहुत बहुत बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
कहकर तो देखो कभी, परियों की बातें उनसे
ReplyDeleteहर संजीदा दिल में, सहमता हुआ एक बच्चा है
खूबसूरत अभिव्यक्ति।
बधाई!