प्यारे पथिक

जीवन ने वक्त के साहिल पर कुछ निशान छोडे हैं, यह एक प्रयास हैं उन्हें संजोने का। मुमकिन हैं लम्हे दो लम्हे में सब कुछ धूमिल हो जाए...सागर रुपी काल की लहरे हर हस्ती को मिटा दे। उम्मीद हैं कि तब भी नज़र आयेंगे ये संजोये हुए - जीवन के पदचिन्ह

Tuesday, October 20, 2009

दिल टूटने से, और बढ़ गई दिलों की दूरियाँ





दिल टूटने से, और बढ़ गई दिलों की दूरियाँ
पर कोई क्या बताए क्यों थी दिलों में दूरियाँ

दिल में रख छोड़ा था एक ख्याब सुनहरा सा
जिनमे हमेशा वो रहा जिसके ख्याबों में मैं ही कहाँ था?
और क्या कहें,  क्या रही हमारी मजबूरियाँ
दिल टूटने से, और बढ़ गई दिलों की दूरियाँ

उम्र-भर बैठे रहे, जिसकी राहों में हम नज़रें बिछाए
मुझसे मिला वो, तो उसके पास मेरे लिए वक्त ही कहाँ था?
और क्या कहें, क्या रहीं ज़माने भर की मसरूफियाँ
दिल टूटने से, और बढ़ गई दिलों की दूरियाँ

मंजिलों की तलाश में हम चले तो सब साथ-साथ थे,
जिसके साथ मैं चला, उसके हाथ में मेरा हाथ ही कहाँ था?
और क्या कहें, क्या रही मेरी बदनाम कहानियाँ
दिल टूटने से, और बढ़ गई दिलों की दूरियाँ

हाल-ए-दिल कहने को लिखी जिसके नाम गज़लें तमाम,
उनको सुनने को वो, महफ़िल में तन्हा आया ही कहाँ था?
और क्या कहें, क्या रही उस शाम मेरी खामोशियाँ
दिल टूटने से, और बढ़ गई दिलों की दूरियाँ

दिल टूटने से, और बढ़ गई दिलों की दूरियाँ
पर कोई क्या बताए क्यों थी दिलों में दूरियाँ


10 comments:

  1. बेहतरीन रचना लेकिन इतनी उदासी ठीक नही भाई।

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  2. अच्छी लगी आपकी यह रचना ...

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  3. बेहद पसन्द आयी आपकी यह रचना..............

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  4. दिल टूटने से, और बढ़ गई दिलों की दूरियाँ
    पर कोई क्या बताए क्यों थी दिलों में दूरियाँ

    अच्छी रचना

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  5. दिल टूटने से, और बढ़ गई दिलों की दूरियाँ
    पर कोई क्या बताए क्यों थी दिलों में दूरियाँ

    सुधीर जी इस प्रश्न का उत्तर तो मैं पिछले 50 वर्षों से ढूंढ रहा हूँ।
    यदि आपको िमल जाये तो मुझे भी बताना जी!

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  6. दिल में रख छोड़ा था एक ख्याब सुनहरा सा
    जिनमे हमेशा वो रहा जिसके ख्याबों में मैं ही कहाँ था?
    वाह... कई लोगों के दिल कि बात कह दी आपने....सुन्दर रचना

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  7. हाल-ए-दिल कहने को लिखी जिसके नाम गज़लें तमाम,
    उनको सुनने को वो, महफ़िल में तन्हा आया ही कहाँ था?
    और क्या कहें, क्या रही उस शाम मेरी खामोशियाँ
    दिल टूटने से, और बढ़ गई दिलों की दूरियाँ

    दिल टूटने से, और बढ़ गई दिलों की दूरियाँ
    पर कोई क्या बताए क्यों थी दिलों में दूरियाँ
    सुधीर भाई बहुत बडिया गीत है। शुभकामनायें

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  8. दिल टूटने से, और बढ़ गई दिलों की दूरियाँ
    पर कोई क्या बताए क्यों थी दिलों में दूरियाँ
    बहुत खूब भावपूर्ण रचना -- सुन्दर भाव

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  9. दिल टूटने से, और बढ़ गई दिलों की दूरियाँ
    पर कोई क्या बताए क्यों थी दिलों में दूरियाँ ...

    बहुत अच्छी है आपकी रचन ........ अच्छे भाव लिए

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