दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ
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अमावस की काली रातों में
जगमग तारों सा ह्रदय धरें,
चन्द्र-राह ताकें क्योंकर हम,
जितना संभव हो पथ आलोकित करें
देवालय आलोकित किए कई,
आओ अब कुछ यूँ जलें
तूफानों से जूझती जो कश्ती,
उसके हम आशा-दीप बने
कितने घट जो अब भी हैं रीते-अंधियारे
अज्ञान-पाश में फँसकर खुद से भी हारे
उनकी सूनी चौखट को रौशन करने को,
आओ हम सप्त-सुरों के ज्योति-गीत बने
जितना संभव हो पथ आलोकित करें !!
जितना संभव हो पथ आलोकित करें !!
सुन्दर रचना..
ReplyDeleteसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
सादर
-समीर लाल 'समीर'
अति उत्तम काव्य.......
ReplyDeleteवाह !
आपको और आपके परिवार को दीपोत्सव की
हार्दिक बधाइयां
यह दिया है ज्ञान का, जलता रहेगा।
ReplyDeleteयुग सदा विज्ञान का, चलता रहेगा।।
रोशनी से इस धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
ReplyDeleteसुंदर रचना !!
ReplyDeleteपल पल सुनहरे फूल खिले , कभी न हो कांटों का सामना ! जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे , दीपावली पर हमारी यही शुभकामना !!
बहुत सुन्दर । शुभकामनायें ।
ReplyDeletesundar ati sundar.....jitna ho sake path aalokit kare waah bahut khoob
ReplyDeleteSudhir Really aapki hindi bahut achchi hai.....ham sirf is rachna ki baat nahi kar rahe.....hamesha padhte hai aapko...aap sach mein shabdo se jadoo karte hai......Diwali ki shubh kaamnaye
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति.
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