प्यारे पथिक

जीवन ने वक्त के साहिल पर कुछ निशान छोडे हैं, यह एक प्रयास हैं उन्हें संजोने का। मुमकिन हैं लम्हे दो लम्हे में सब कुछ धूमिल हो जाए...सागर रुपी काल की लहरे हर हस्ती को मिटा दे। उम्मीद हैं कि तब भी नज़र आयेंगे ये संजोये हुए - जीवन के पदचिन्ह

Tuesday, June 9, 2009

कोई सवाल मेरे बारे में , ख़ुद से उठाते तो होगे


कभी तनहाई में जब तुम, आईने से बतियाते होगे,
कोई सवाल मेरे बारे में , ख़ुद से उठाते तो होगे

अपनी आँखों में जब पिछली कहानी दबाते होगे
कोई बूँद गालों पर गिरने से बचाते तो होगे
पढ़ी कितनी गज़लें बज्मो में मेरे गुमनाम दोस्त मैंने तेरे नाम की
कोई शेर उनमे से तुम अपना समझकर बीती बातों पर गुनगुनाते तो होगे



कई शब यारों ने छेड़ी महफिल में बातें हमारी तुम्हारी
कोई किस्सा उनका दोस्त अपने आकर तुमको भी सुनाते तो होंगे
कई किस्से नए-पुराने तुम्हे गुदगुदाते भी होंगे, रुलाते भी होंगे
कोई आह मेरे नाम की लेकर तुम सबसे घबराते तो होगे



मैंने सुना हैं कि तुम्हे न शिकवा मुझसे, मुझे न शिकायत तुझसे,
जो कह न सके हम, उस दिल्लगी को बताने को ख़त उठाते तो होंगे
वक्त ने खिंची जो दूरियां हम में, तुम ख्याबों उसे मिटाते तो होगे
कोई शाम, इस दुनिया की रिवायतों से दूर, मेरे आगोश में बिताते तो होंगे

कभी तनहाई में जब तुम, आईने से बतियाते होगे,
कोई सवाल मेरे बारे में , ख़ुद से उठाते तो होगे

2 comments:

  1. मोहब्बत के एहसास समेटे हुए एक बहुत अच्छी कविता

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  2. bahut sunder! aapka lekhan bhata hain harbaar

    अपनी आँखों में जब पिछली कहानी दबाते होगे
    कोई बूँद गालों पर गिरने से बचाते तो होगे
    पढ़ी कितनी गज़लें बज्मो में मेरे गुमनाम दोस्त मैंने तेरे नाम की
    कोई शेर उनमे से तुम अपना समझकर बीती बातों पर गुनगुनाते तो होगे

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