प्यारे पथिक

जीवन ने वक्त के साहिल पर कुछ निशान छोडे हैं, यह एक प्रयास हैं उन्हें संजोने का। मुमकिन हैं लम्हे दो लम्हे में सब कुछ धूमिल हो जाए...सागर रुपी काल की लहरे हर हस्ती को मिटा दे। उम्मीद हैं कि तब भी नज़र आयेंगे ये संजोये हुए - जीवन के पदचिन्ह

Tuesday, March 9, 2010

तेरे तसव्वुर से मैं कह पाता, मैं वो सब जो कहना भूल गया



तुम जाओगे तो क़यामत होगी, रुक जाओगे तो क़यामत होगी
हाय! इसी कशमकश में,  मैं तुझसे हाल-ए-दिल कहना भूल गया
काश थाम कर यादों का आइना, पलट कर कुछ वक्त के पन्ने,
तेरे तसव्वुर से मैं कह पाता, मैं वो सब जो कहना भूल गया

वो रब्त जिसे बाँध न पाए, तेरे मेरे नाम के कच्चे धागे
उसके सिरे थामे अपने कुछ उजडे सपने बांधा करता हूँ
खामोशियों की आड़ में ठंडी साँसों  में लपेटकर अब भी
हर गिरह पर तेरे नाम से गुमनाम रिश्ते बांधा करता हूँ

ज़रूरी तो नहीं ज़िन्दगी में,  हर सवाल का जवाब मिले
मुमकिन हैं कि सवाल के, जवाब में हमे इक सवाल मिले
फिर भी यह सोचकर गुज़रता हूँ मैं, तेरी रहगुजर से
किसी रोज़ तो तू भी मुझको, मुझसी ही हमख्याल मिले

इश्क एक अहसास दफ्न जो, कितने बेजुबां दिलों की तहों में
शब्द हैं दरकार इसको भी,  तभी  होता यह मुकम्मल पलों में
मालूम थी यें हकीकत मुझे फिर क्यों तुझसे कहना भूल गया 
ताउम्र इबादत की जिसकी दास्ताँ, उसके सजदे में रहना भूल गया
काश थाम कर यादों का आइना, पलट कर कुछ वक्त के पन्ने,
तेरे तसव्वुर से मैं कह पाता, मैं वो सब जो कहना भूल गया


विशेष: सभी गत सप्ताह सोमवार को होली के  कारण काव्य रचना से अवकाश रहा. क्षमा प्रार्थी हूँ और साथ ही सभी आदरणीय पाठकों एवं स्नेहीजन को (देर से ही सही)  होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.  

6 comments:

  1. काश थाम कर यादों का आइना, पलट कर कुछ वक्त के पन्ने,
    तेरे तसव्वुर से मैं कह पाता, मैं वो सब जो कहना भूल गया
    dil do chhoo gaya yeh sher.

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  2. वो रब्त जिसे बाँध न पाए, तेरे मेरे नाम के कच्चे धागे
    उसके सिरे थामे अपने कुछ उजडे सपने बांधा करता हूँ
    खामोशियों की आड़ में ठंडी साँसों में लपेटकर अब भी
    हर गिरह पर तेरे नाम से गुमनाम रिश्ते बांधा करता हूँ
    Bahut sundar..aapne to aankhen nam kar deen..

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  3. "ज़रूरी तो नहीं ज़िन्दगी में, हर सवाल का जवाब मिले
    मुमकिन हैं कि सवाल के, जवाब में हमे इक सवाल मिले"
    शब्द और भाव अच्छे लगे - सार्थक सोच भी परिलक्षित हुई.

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  4. सुधीर मुझे तो तुम्हारी रचनायें पढ कर ये समझ नही आता कि किस किस पँक्ति को कोट करूँ अद्भुत लिखते हो-- इतना गहरा कि कोई मेरे जैसा पढते हुये ुसकी गहराई मे डूब ही जाता है फिर बाहर निकलने का रास्ता ही नही सूझता । अद्भुत सुन्दर है तुम्हारी ये रचना भी। बहुत बहुत आशीर्वाद्

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  5. Behad Khubsurat rachana lagi aapki ..prashansha ko shabd kam padate hai,itana jarur kahungi pad kar mugdh ho gae....Dhanywad!
    http://kavyamanjusha.blogspot.com/

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  6. फेसबुक से कुछ दोस्तों का प्रोत्साहन....

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    Manjit Rochlani commented on your note "तेरे तसव्वुर से मैं क&#...":


    "Sudhir saab, Thoda sa easy likhiye ki ham Hindi novice ko samajhe me aaye!! You do not have to:)"

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    Geeta Bijinapally commented on your note "तेरे तसव्वुर से मैं क&#...":

    "Sudhir, great write up, as Manjit said It is liitle detailed hindi for our level. I was wondering whether you got the Phd in Hindi or your better half did?? Good work....Hats off"

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    Sajjad Awan commented on your note "तेरे तसव्वुर से मैं क&#...":

    "तुमने खुद लिखते हैं, के रूप में गीता ने क्या कहा? पीएचडी के साथ किसी ने लिखा इस तरह दिखता

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    Manjit Rochlani commented on your note "तेरे तसव्वुर से मैं क&#...":


    "I enjoy the hindi/urdu words. One of my favorite is Fannah; Isk Ahmaad Ka Nasha tere liye kaaphi hai - Saabri brothers, chhod de pina.

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