प्यारे पथिक

जीवन ने वक्त के साहिल पर कुछ निशान छोडे हैं, यह एक प्रयास हैं उन्हें संजोने का। मुमकिन हैं लम्हे दो लम्हे में सब कुछ धूमिल हो जाए...सागर रुपी काल की लहरे हर हस्ती को मिटा दे। उम्मीद हैं कि तब भी नज़र आयेंगे ये संजोये हुए - जीवन के पदचिन्ह

Tuesday, July 20, 2010

दिल-तोड़ने से पहले थोडा इंतज़ार कीजिये


यूँ बैठे बैठे न आप, आहें हजार लीजिये
इश्क है गर आपको तो  इज़हार कीजिये

करवटों में गुजरेंगे, जागती रातें कितनी
ख्याबों में आकार ही हमे बेक़रार कीजिये

दबाने से नहीं हासिल, इश्क को मंजिल
किसी रोज़ तो दिल का कारोबार कीजिये

मुहब्बत में कहाँ होती, गुंजाइश शिकवों की
हाज़िर है जिगर अपना खुलकर वार कीजिये

जवानी में बहकना भी, होती है इक अदा
किन्ही मामलों में दिल का एतबार कीजिये  

मुन्तजिर रहा है 'दास्ताँ',  उम्र भर आपका
दिल-तोड़ने से पहले थोडा इंतज़ार कीजिये

5 comments:

  1. करवटों में गुजरेंगे, जागती रातें कितनी
    ख्याबों में आकार ही हमे बेक़रार कीजिये

    :):) ... बहुत खूबसूरत ग़ज़ल...

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  2. यदि कहीं भी लग रहा कि आसमां थक चला,
    इस ग़जल को पढ़ ज़रा, और प्यार कीजिये।

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  3. मुहब्बत में कहाँ होती, गुंजाइश शिकवों की
    हाज़िर है जिगर अपना खुलकर वार कीजिये..
    क्या बात है ...
    मुहब्बत में नहीं है फर्क जीने का मर जाने का
    उसी को देखकर जीते हैं कि जिस काफिर पर दम निकले

    खूबसूरत ग़ज़ल ..!

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