प्यारे पथिक

जीवन ने वक्त के साहिल पर कुछ निशान छोडे हैं, यह एक प्रयास हैं उन्हें संजोने का। मुमकिन हैं लम्हे दो लम्हे में सब कुछ धूमिल हो जाए...सागर रुपी काल की लहरे हर हस्ती को मिटा दे। उम्मीद हैं कि तब भी नज़र आयेंगे ये संजोये हुए - जीवन के पदचिन्ह

Tuesday, March 16, 2010

गम है कि जिन्दा हूँ, वरना खुशियों से तो मर जाता



गम है कि जिन्दा हूँ, वरना खुशियों से तो मर जाता
तनहाइयों ने थामे रखा, वरना जमाने में किधर जाता

सौ बार हुआ क़त्ल रहा फिर भी धड़कता मेरा दिल
माजी की थी चाहत नहीं तो इक झोके से बिखर जाता

न छिपा ज़ालिम पर्दों में यूँ, इस गुल-ए-हुस्न को अपने
होती हैं आफ़ताब आशिक़-निगाहें, पड़ती तो निखर जाता  

खुशनसीब हूँ मैं कि उसने  मुझसे इक रिश्ता तो बनाया
ज़फ़ा करके वो कायम है, वफ़ा करता तो मुकर जाता

दिल टूटा है होगा तूफां से तेरा सामना उम्रभर अब तो
ख्याब कोई टूटा होता तो मौसमी गुबार सा गुजर जाता

रहमत उसकी जो हँसकर दिल लगाया भी, मिटाया भी
मेरे दामन को वरना कोई कैसे इन गजलों से भर जाता

हुई हैं कामयाब दास्ताँ कुछ तो रकीबों की बाते वरना
तुझसे मिलकर वो मुस्कुराता सा चेहरा न उतर जाता

11 comments:

  1. सौ बार हुआ क़त्ल रहा फिर भी धड़कता मेरा दिल
    माजी की थी चाहत नहीं तो इक झोके से बिखर जाता
    बहुत बढिया..नव संवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनाये ....

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  2. पंक्तियों का सार अत्यंत मनोहर है

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  3. गम है कि जिन्दा हूँ, वरना खुशियों से तो मर जाता
    तनहाइयों ने थामे रखा, वरना जमाने में किधर जाता
    ऐसा भी होता है
    एक गम है जिसने सहारा दिया है
    वर्ना
    खुशियाँ तो पानी के बुलबुले हैं

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  4. खुशनसीब हूँ मैं कि उसने मुझसे इक रिश्ता तो बनाया
    ज़फ़ा करके वो कायम है, वफ़ा करता तो मुकर जाता

    -क्या बात है, बहुत खूब!

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  5. फेसबुक से मेरे दोस्त मंजीत का प्रोत्साहन....

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    Manjit Rochlani commented on your note "गम है कि जिन्दा हूँ, वर...":

    "gaam hai ki jinda hoo......aapki aaphtaab kalam pe fakra hai hame, sudhir babu."
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  6. खुशनसीब हूँ मैं कि उसने मुझसे इक रिश्ता तो बनाया
    ज़फ़ा करके वो कायम है, वफ़ा करता तो मुकर जाता

    खूबसूरती से लिखे हैं जज़्बात....बढ़िया ग़ज़ल..

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  7. गम को यारों, कभी सीने से जुदा मत करना,

    गम बहुत साथ निभाते हैं, जवां रहते हैं.

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  8. अच्‍छी अभिव्‍यक्ति, बधाई।

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  9. सुधीर जी!
    आपकी रचना बहुत सशक्त है!

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  10. खुशनसीब हूँ मैं कि उसने मुझसे इक रिश्ता तो बनाया
    ज़फ़ा करके वो कायम है, वफ़ा करता तो मुकर जाता !

    बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द रचना, बधाई

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  11. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (30-06-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!

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