प्यारे पथिक

जीवन ने वक्त के साहिल पर कुछ निशान छोडे हैं, यह एक प्रयास हैं उन्हें संजोने का। मुमकिन हैं लम्हे दो लम्हे में सब कुछ धूमिल हो जाए...सागर रुपी काल की लहरे हर हस्ती को मिटा दे। उम्मीद हैं कि तब भी नज़र आयेंगे ये संजोये हुए - जीवन के पदचिन्ह

Wednesday, April 29, 2009

मेरा ख्याल तो आया


देख तेरी बेपरवाह दिल्लगी ने,
मुझको किस कदर तमाशा बनाया।
खैर अच्छा हुआ क्योंकि -
तमाशा देखते हैं ज़माने वाले
इसी बहाने, उन्हें मेरा ख्याल तो आया।

किसी हाशिये पर अनजान ही
कट जाती जिंदगी तन्हा मेरी,
चलो, अब सबकी जुबान पर
तेरे नाम के साथ मेरा नाम तो आया।
इसी बहाने, उन्हें मेरा ख्याल तो आया।

दो तंज ही सही, यह रंग ही सही
अब मुझसे मुखतिब हैं ज़मानेवाले
आज जिंदा हूँ पर कल मिलही जायेंगे
मेरे नाम पर गज़ले गाने वाले।
तेरी बेरुखी ने सच, एक फ़साना तो बनाया
इसी बहाने, उन्हें मेरा ख्याल तो आया।

3 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति।

    प्यार परस्पर हो अगर रखते लोग खयाल।
    राह सुगम है प्रेम का कभी कभी जंजाल।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. ... सुन्दर रचना !!!!!!

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  3. बेहद खूबसूरत भाव हैं ...आपने रचना बहुत मन से लिखी है ..

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