यूँ बैठे बैठे न आप, आहें हजार लीजिये
इश्क है गर आपको तो इज़हार कीजिये
करवटों में गुजरेंगे, जागती रातें कितनी
ख्याबों में आकार ही हमे बेक़रार कीजिये
दबाने से नहीं हासिल, इश्क को मंजिल
किसी रोज़ तो दिल का कारोबार कीजिये
मुहब्बत में कहाँ होती, गुंजाइश शिकवों की
हाज़िर है जिगर अपना खुलकर वार कीजिये
जवानी में बहकना भी, होती है इक अदा
किन्ही मामलों में दिल का एतबार कीजिये
मुन्तजिर रहा है 'दास्ताँ', उम्र भर आपका
दिल-तोड़ने से पहले थोडा इंतज़ार कीजिये
bahut sunder gazel.
ReplyDeleteकरवटों में गुजरेंगे, जागती रातें कितनी
ReplyDeleteख्याबों में आकार ही हमे बेक़रार कीजिये
:):) ... बहुत खूबसूरत ग़ज़ल...
यदि कहीं भी लग रहा कि आसमां थक चला,
ReplyDeleteइस ग़जल को पढ़ ज़रा, और प्यार कीजिये।
वाह वाह!!
ReplyDeleteमुहब्बत में कहाँ होती, गुंजाइश शिकवों की
ReplyDeleteहाज़िर है जिगर अपना खुलकर वार कीजिये..
क्या बात है ...
मुहब्बत में नहीं है फर्क जीने का मर जाने का
उसी को देखकर जीते हैं कि जिस काफिर पर दम निकले
खूबसूरत ग़ज़ल ..!