होगा यूँ भी ज़िन्दगी में कि ये मेले न होंगे
तेरी यादों की है रहमत, हम अकेले न होंगे
मिलेगा वो मुकाम कभी तो इश्क वालों को
ज़माने के हाथों में सिर तलाशते ढ़ेले न होंगे
दिल टूटने का दिलकश फ़साना अपना इश्क
चलेगा तब भी जब फुसफुसाते घरोंदे न होंगे
हो जवाँ मिल ही जायेंगे आशिक़ कई तुमको
करे इंतजार ताउम्र, ऐसे हमसे अलबेले न होंगे
करोगे तलाश कभी तो बुझते हुए चिरागों की
लौटते दर पे हर मौसम फरेबी-सवेरे न होंगे
होगी महसूस तुम्हे भी ज़िन्दगी-भर की खलाएं,
होगी ग़ज़ल तेरे नाम, पर अहसास मेरे न होंगे
निभाता रह दास्ताँ तू रस्म-ए-मुहब्बत उम्रभर
होगी महसूस तुम्हे भी ज़िन्दगी-भर की खलाएं,
होगी ग़ज़ल तेरे नाम, पर अहसास मेरे न होंगे
निभाता रह दास्ताँ तू रस्म-ए-मुहब्बत उम्रभर
होगी क़द्र जज्बातों की जब निशाँ तेरे न होंगे
खूबसूरत गज़ल..
ReplyDeleteहो जवाँ मिल ही जायेंगे आशिक़ कई तुमको
ReplyDeleteकरे इंतजार ताउम्र, ऐसे हमसे अलबेले न होंगे
Wah! Kya gazab gazal kahi hai!
होगी महसूस तुम्हे भी ज़िन्दगी-भर की खलाएं,
ReplyDeleteहोगी ग़ज़ल तेरे नाम, पर अहसास मेरे न होंगे
निभाता रह दास्ताँ तू रस्म-ए-मुहब्बत उम्रभर
होगी क़द्र जज्बातों की जब निशाँ तेरे न होंगे
वाह जवाब नही ।सुधीर बहुत खूबसूरत गज़ल है। बधाई। कैसे हो?
प्रवाहों से लड़ता निरन्तर मैं जिनके,
ReplyDeleteसमय के थपेड़े वे झेले न होंगे ।
निभाता रह दास्ताँ तू रस्म-ए-मुहब्बत उम्रभर
ReplyDeleteहोगी क़द्र जज्बातों की जब निशाँ तेरे न होंगे
bhavbhini shbda vyanjana.badhai