मित्रों,
एक लम्बे अंतराल के बाद आप सब से मुखातिब हूँ. इस बीच कुछ समय के लिए जननी और जन्मभूमि की चरण-रज लेने हेतु भारतवर्ष गया. अपने इस यात्रा में हमने अजंता-एल्लोरा और देवगिरी दुर्ग (दौलताबाद) की भव्य विथिकायों में भी रमण करने का अवसर प्राप्त हुआ. उनकी भव्यता और कलात्मकता देखकर ह्रदय कई दिनों तक पाषाणों पर लिखे उन रागों के अनुराग से विरक्त नहीं हो पाया और न जाने कितनी रचनाएँ पाषाणों से लेकर पत्थर, जीवन से लेकर निर्जन पर लिख डाली. वापस आने के बाद भी कुछ समय गृहस्थी और दाल-रोटी के चक्कर में आप से वार्ता नहीं हो पाई. लेकिन अब हाजिर हूँ . आशा हैं आपका स्नेह सैदव की भांति मुझे मिलता रहेगा.
सादर,
सुधीर
थी मेरी मंजिल वो पर अब किसी और की राहों में है
सुना है मेरी मुन्तजिर वो कुछ तो असर आहों में है
न मिटी खलिश कि मिट जाये दूरियाँ दिल की उनसे
बिताई हमने सिमटकर उम्र जिनकी बेवफा बाँहों में है
सुना न ये किताबी बाते कुफ्र औ' क़यामत की वाइज
गुजारी कोई रात क्या तुने उन जुल्फों की पनाहों में है
गोया होगा कोई और भी चेहरा दिलकश चाँद-सितारों सा
हमे तो आरजू इतनी कि मिले वो चेहरा जो निगाहों में है
खो गए 'दास्ताँ' ज़माने कितने खोकर इश्क-ए-मंजिल
हुआ है शायर तू, ये कशिश इन कुरेदे हुए घावों में है
खो गए 'दास्ताँ' ज़माने कितने खोकर इश्क-ए-मंजिल
ReplyDeleteहुआ है शायर तू, ये कशिश इन कुरेदे हुए घावों में है
Bahut dinon baad likha hai...swagat hai wapsee ka!
Kya gazal kahi hai...kaise taareef karun ke alfaaz rooth rahe hain!
आहों का असर प्रभावी होता है।
ReplyDeleteकुछ तो असर होगा आहों का।
ReplyDeleteour sweetest song are those that tell us of our saddest thoughts!
ReplyDeleteaahon ke asar ki baat karti sundar rachna!
न मिटी खलिश कि मिट जाये दूरियाँ दिल की उनसे
ReplyDeleteबिताई हमने सिमटकर उम्र जिनकी बेवफा बाँहों में है
कमाल कर दिया ...क्या शब्दों से उकेरा है जज्बातों को.उम्दा.
बहुत बेहतरीन!!
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