प्यारे पथिक

जीवन ने वक्त के साहिल पर कुछ निशान छोडे हैं, यह एक प्रयास हैं उन्हें संजोने का। मुमकिन हैं लम्हे दो लम्हे में सब कुछ धूमिल हो जाए...सागर रुपी काल की लहरे हर हस्ती को मिटा दे। उम्मीद हैं कि तब भी नज़र आयेंगे ये संजोये हुए - जीवन के पदचिन्ह

Tuesday, December 1, 2009

मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!





बड़ी मुद्दत के बाद आज तन्हा हूँ,
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!
आंसू न पोछो, मुझे धीर न दो
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

अपनों  को परखने की,
मुझको न थी आदत ही कभी,
वो छलतें है मुझको, तो छल  लेने दो.
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

माँगा ही किया है दुनिया ने हरदम,
मुझसे कीमत हर रिश्ते नातों की
आज देती हैं वो धोखा तो दे लेने दो.
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

जिन्दा रहने की है शर्त अगर,
ताउम्र सांसों की सलीब उठाना,
तो पल-पल मर के भी जी लेने दो.
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

सजदे में ही रहा जीता मैं,
बचता बगावत के इल्जामों से,
अब कटता सर मेरा, तो कट लेने दो.
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

गैर-ज़रूरी  है अब दुनियादारी में
इन बेमतलब उसूलों का सबब.
कुछ बेचता हूँ मैं, तो बिक लेने दो
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

औरों  के बनाये  निज़ामों  पर,
जीना ही तो रही किस्मत मेरी,
(अपनी इक) ख्वाहिश पर मरता हूँ, तो मर लेने दो
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

बड़ी मुद्दत के बाद आज तन्हा हूँ,
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!
आंसू न पोछो, मुझे धीर न दो
मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

18 comments:

  1. औरों के बनाये निज़ामों पर,
    जीना ही तो रही किस्मत मेरी,
    (अपनी इक) ख्वाहिश पर मरता हूँ, तो मर लेने दो
    मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

    बहुत सुंदर पन्तियाँ......

    बेहतरीन कविता..........

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  2. गैर-ज़रूरी है अब दुनियादारी में
    इन बेमतलब उसूलों का सबब.
    मगर अक्सर गैर जरूरी भी तो जरूरी होता है

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  3. बड़ी मुद्दत के बाद आज तन्हा हूँ,
    मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!
    आंसू न पोछो, मुझे धीर न दो
    मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

    -बहुत भावपूर्ण!!

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  4. अपनों को परखने की,
    मुझको न थी आदत ही कभी,
    वो छलतें है मुझको, तो छल लेने दो.
    मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

    आँसुओं के माध्यम से मनोव्यथा का सुन्दर चित्रण!

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  5. जब इतने कारण मौजूद हों रोने के लिए तो कभी कभी जी भर कर रो भी लेना चाहिए ...!!

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  6. बहुत शिद्दत से महसूस कर लिखा है आपने ।

    बेहद भावपूर्ण रचना । आभार ।

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  7. सुधीर क्षमा चाहती हूँ बहुत दिन से तुम्हारे किसी ब्लाग पर नहीं आयी। मुझे पता है मेरा छोटा भाई नाराज़ नहीं होता। तुम्हारी कविता दिल को छू गयी लगा जैसे मेरी अपनी है
    अपनों को परखने की,
    मुझको न थी आदत ही कभी,
    वो छलतें है मुझको, तो छल लेने दो.
    मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

    माँगा ही किया है दुनिया ने हरदम,
    मुझसे कीमत हर रिश्ते नातों की
    आज देती हैं वो धोखा तो दे लेने दो.
    मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!
    बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति है असल मे संवेदनशील व्यक्ति ऐसे ही ठगे जाते हैं । एक एक शब्द ,भाव बहुत सी संवेदनायें समेटे हुये हैं शुभकामनायें

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  8. जिन्दा रहने की है शर्त अगर,

    ताउम्र सांसों की सलीब उठाना,

    तो पल-पल मर के भी जी लेने दो.
    मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

    बेहद भावपूर्ण !

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  9. भैया इतना भी न रो कि
    हर पंक्ति रुआंसी लगे ...

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  10. सच में बन्धु, अपनी मूल भावनायें छिपा, प्रसन्नता व्यक्त करते चले जाने में देखा है गाल और जबड़े दर्द करने लगते हैं।
    कभी कभी अपने को अनवाइण्ड करने में फफक कर रोने का मन करता है।
    आपकी कविता बहुत सुन्दर है।

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  11. बड़ी मुद्दत के बाद आज तन्हा हूँ,
    मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!
    आंसू न पोछो, मुझे धीर न दो
    मैं रोता हूँ, तो रो लेने दो !!

    बहुत सुन्दर बढ़िया लिखा है आपने शुक्रिया

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  12. Harek pankti sunadar ho to kin,kin panktoyonka waasta diya jay! Pahli baar aayi hun aapke blog pe...behtareen rachna pdhne mili...dua karti hun, jo rachna me likha hai,wo asli jeevan me kabhi na ho...Aameen..

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  13. Aisee tanhayi kisee ke naseeb na ho!

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  14. वाह बहुत सुंदर

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  15. मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!
    मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!

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  16. badi muddat ke baad tanha hai .........ro ligiye....bahut khoob

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  17. बहुत बढ़िया..... ये तस्वीर तो मैंने एक साल पहले अपने ऑरकुट प्रोफाइल पर लगाईं थी, अब भी हैं ..... आज आप के यहाँ भी देख ली.....अच्छालगा ....

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