रोते बच्चे जो, मोहताज़ दाने-दाने को है
सुना है उनकी तस्वीर ईनाम पाने को है
फिर मुस्कुराती है, हर इक बात पर वो,
आँखों में उसकी सावन छाने को है.
सहमने लगा हैं यह शहर शाम ही से,
लगता है कोई त्योहार आने को है
बदलने लगे हैं, बात बात-ही-बात में वो,
दिल-ए-नादाँ तू धोखा खाने को है
तुझसे ही हैं, बावस्ता सारे गम मेरे यूँ तो
ज़माने की खुशियाँ वर्ना लुटाने को है
मिलने लगे हैं हंसकर सब दोस्त मुझसे,
खंजर कोई दिल आजमाने को है
मौत की राह है, देखता 'दास्ताँ' तू क्यूं
बहाने कम क्या जान जाने को हैं
विड़ंबनाओं को बेहतरीन ढाला है शब्दों में, बधाई!!
ReplyDeleteरोते बच्चे जो, मोहताज़ दाने-दाने को है
ReplyDeleteसुना है उनकी तस्वीर ईनाम पाने को है
फिर मुस्कुराती है, हर इक बात पर वो,
आँखों में उसकी सावन छाने को है.
इससे सुन्दर गजल और क्या होगी!
बधाई!
मिलने लगे हैं हंसकर सब दोस्त मुझसे,
ReplyDeleteखंजर कोई दिल आजमाने को है
अक्सर दोस्त खंजर लिए ही क्यों रहते हैं ....
गहरी बात कह दी है ...!!
मिलने लगे हैं हंसकर सब दोस्त मुझसे,
ReplyDeleteखंजर कोई दिल आजमाने को है......Yahi sach hai ...
गठी हुई रचना है यह - दुष्यन्त या राजेश रेड्डी याद आते हैं।
ReplyDeleteरोते बच्चे जो, मोहताज़ दाने-दाने को है
ReplyDeleteसुना है उनकी तस्वीर ईनाम पाने को है
बहुत खूब । वाह ।
bahoot hi bhaavok sher hain is gazal mein ... kuch hakeekat ke kareeb... kuch dil ke kareeb ...
ReplyDeletephir muskraati hai he ik baat pr wo
ReplyDeleteaankhoN meiN uski saavan chhaane ko hai
bahut hi achhaa sher kahaa hai huzoor !!
poori gzl padh lene pr
bhaav-paksh bahut prabhaavshali
lagtaa hai
ek achhee gzl ke liye mubarakbaad
फिर मुस्कुराती है, हर इक बात पर वो,
ReplyDeleteआँखों में उसकी सावन छाने को है.
बहुत अच्छी और इमानदार कोशिश की है आपने अपनी इस रचना में...सभी शेर मुकम्मल और अच्छे हैं...लिखते रहिये...
नीरज
acchi lagi aapki yah rachna ..shukriya
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