tag:blogger.com,1999:blog-4477903639588767281.post3564666677953435797..comments2023-07-23T11:53:21.109-04:00Comments on जीवन के पदचिन्ह: दिल बेचारा पगला विरही ठहराSudhir (सुधीर)http://www.blogger.com/profile/13164970698292132764noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4477903639588767281.post-888943090592338902009-03-02T22:56:00.000-05:002009-03-02T22:56:00.000-05:00दुनियादारी की रीत अनूठीसबसे हंसकर मिलना पड़ता हैं।...दुनियादारी की रीत अनूठी<BR/>सबसे हंसकर मिलना पड़ता हैं।<BR/>लाख ज़ख्म लगे हो दामन पर,<BR/>खुद ही कतरा कतरा सीना पड़ता हैं।<BR/>बहुत बढिया सर अनुपम रचनाप्रदीप मानोरियाhttps://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4477903639588767281.post-50212372826428551172009-02-27T01:06:00.000-05:002009-02-27T01:06:00.000-05:00आंखों ने दुनिया देखी थी -आधी-पढ़ ख्वाबों की किताब छ...आंखों ने दुनिया देखी थी -<BR/>आधी-पढ़ ख्वाबों की किताब छोड़ दी<BR/>दिल बेचारा पगला विरही ठहरा<BR/>अब भी पिछले सफे को पढता हैं।<BR/><BR/>अब भी पिछले सफे को पढता हैं। ..यह पंक्ति बहुत कुछ कह गयी अच्छी लगी आपकी यह रचनारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4477903639588767281.post-60851169004095941252009-02-26T23:23:00.000-05:002009-02-26T23:23:00.000-05:00बहुत ही सुंदर ..बहुत ही सुंदर ..संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.com